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Thursday, 17 October 2024

Allah will punish man for his sins

In Islamic belief, Allah holds individuals accountable for their own actions, and the concept of punishment for sins is deeply rooted in the principles of justice, mercy, and individual responsibility. According to the Qur'an and Hadith (the sayings and actions of the Prophet Muhammad), several key teachings outline who is held accountable and how Allah punishes those who commit sins. Below is a detailed explanation: ### 1. **Personal Accountability** In Islam, each individual is responsible for their own actions, and no one bears the burden of another’s sins. This is a foundational principle in Islamic theology: - **The Qur’an** states: - *“Every soul, for what it has earned, will be retained”* (Qur'an 74:38). - *“No bearer of burdens will bear the burden of another”* (Qur'an 6:164). These verses emphasize that individuals will be held accountable for their own deeds, whether good or bad, and will be rewarded or punished based on their actions. ### 2. **Who Will Be Punished for Sins?** Allah’s punishment for sins falls upon individuals who knowingly commit wrong acts, reject divine guidance, or fail to repent for their transgressions. The key categories of those subject to punishment include: - **Disbelievers (Kuffar):** Those who reject belief in Allah and deny His message will face punishment in the hereafter. The Qur’an describes the punishment for disbelief as severe: - *“But those who disbelieve and deny Our signs – they will be companions of the Fire; they will abide therein eternally”* (Qur'an 2:39). - **Hypocrites (Munafiqun):** Hypocrites are those who outwardly profess belief in Allah but inwardly reject it. Their punishment is considered particularly harsh, as they deceive others with their false faith: - *“Indeed, the hypocrites will be in the lowest depths of the Fire, and never will you find for them a helper”* (Qur'an 4:145). - **Sinners (Those Who Commit Major Sins):** Muslims who commit major sins (e.g., murder, theft, adultery) without repentance may face punishment in both this life and the hereafter. However, if they sincerely repent, Allah is Merciful and may forgive them: - *“And those who, when they commit an immorality or wrong themselves [by transgression], remember Allah and seek forgiveness for their sins... Allah loves those who do good”* (Qur'an 3:135). - **Oppressors (Zalimun):** Those who oppress others, violate the rights of others, or spread corruption on earth will face Allah’s punishment. Oppression is strongly condemned in Islam, and the Qur’an warns of severe consequences: - *“Indeed, Allah does not like the wrongdoers”* (Qur'an 3:140). ### 3. **Types of Punishment** - **In This World:** Sometimes, Allah may choose to punish sinners in this life through hardship, illness, or calamities as a reminder or a test. However, this can also be a form of mercy, as suffering in this world may expiate sins and prevent greater punishment in the hereafter. - **In the Grave (Barzakh):** Islamic teachings also mention the punishment in the grave for those who led sinful lives without repentance. The period between death and resurrection is known as *Barzakh*, and it is believed that the grave can either be a place of peace or torment depending on one’s deeds. - **On the Day of Judgment (Yawm al-Qiyamah):** Allah will judge all human beings on the Day of Judgment based on their actions. Those who have committed sins without repenting and those who denied faith will face Allah’s ultimate punishment. This includes being cast into Hell (*Jahannam*) if their sins outweigh their good deeds: - *“On that Day, every soul will be recompensed for what it earned. No injustice today! Indeed, Allah is swift in account”* (Qur'an 40:17). ### 4. **Allah’s Mercy and Forgiveness** While Allah’s punishment is just, Islam also emphasizes that Allah is Merciful (*Ar-Rahman*) and Forgiving (*Al-Ghaffar*). Sinners are strongly encouraged to repent, as Allah promises to forgive those who turn to Him with sincerity: - *“Say: O My servants who have wronged themselves [by sinning], do not despair of the mercy of Allah. Indeed, Allah forgives all sins. Indeed, it is He who is the Forgiving, the Merciful”* (Qur'an 39:53). - **Repentance (Tawbah):** Islam teaches that sincere repentance, accompanied by a commitment to avoid future sins and make amends where possible, can wipe away sins: - *“And whoever does a wrong or wrongs himself but then seeks forgiveness of Allah will find Allah Forgiving and Merciful”* (Qur'an 4:110). ### 5. **Intercession (Shafa’ah)** On the Day of Judgment, it is believed that the Prophet Muhammad (PBUH) and other righteous individuals may intercede on behalf of certain sinners, seeking Allah’s forgiveness for them. However, this intercession is granted only by Allah’s permission: - *“Who is it that can intercede with Him except by His permission?”* (Qur'an 2:255). ### 6. **Exceptions and Children** - **Children and the Mentally Incapacitated:** According to Islamic teachings, children who die before reaching the age of maturity (puberty) and individuals who are mentally incapacitated will not be held accountable for their actions, as they are not capable of understanding or choosing their actions. ### Conclusion In Islam, Allah punishes individuals for their own sins, and the punishment is based on personal accountability. However, Allah is also Just and Merciful, offering opportunities for repentance and forgiveness. While sinners and disbelievers may face punishment in the hereafter, those who seek forgiveness with sincerity can attain Allah’s mercy. The ultimate punishment is reserved for those who knowingly reject Allah’s guidance, persist in sin without repentance, or oppress others.

अल्लाह मनुष्य को उसके पापों की सज़ा देगा

इस्लामी मान्यता में, अल्लाह व्यक्तियों को उनके कार्यों के लिए जिम्मेदार ठहराता है, और पापों के लिए दंड की अवधारणा न्याय, दया और व्यक्तिगत जिम्मेदारी के सिद्धांतों में गहराई से निहित है। कुरान और हदीस (पैगंबर मुहम्मद की बातें और कार्य) के अनुसार, कई प्रमुख शिक्षाएं बताती हैं कि किसे जवाबदेह ठहराया जाता है और अल्लाह पाप करने वालों को कैसे दंडित करता है। नीचे एक विस्तृत विवरण दिया गया है: ### 1. **व्यक्तिगत जवाबदेही** इस्लाम में, प्रत्येक व्यक्ति अपने कार्यों के लिए जिम्मेदार है, और कोई भी दूसरे के पापों का बोझ नहीं उठाता है। यह इस्लामी धर्मशास्त्र में एक मूलभूत सिद्धांत है: - **कुरान** कहता है: - *"हर आत्मा, जो कुछ उसने कमाया है, उसे बरकरार रखा जाएगा"* (कुरान 74:38)। ये छंद इस बात पर जोर देते हैं कि व्यक्तियों को अपने स्वयं के कार्यों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा, चाहे वह अच्छा हो या बुरा, और उनके कार्यों के आधार पर उन्हें पुरस्कृत या दंडित किया जाएगा। ### 2. **पापों की सज़ा किसे मिलेगी?** पापों के लिए अल्लाह की सज़ा उन व्यक्तियों पर पड़ती है जो जानबूझकर गलत कार्य करते हैं, ईश्वरीय मार्गदर्शन को अस्वीकार करते हैं, या अपने अपराधों के लिए पश्चाताप करने में विफल रहते हैं। सज़ा के अधीन लोगों की प्रमुख श्रेणियों में शामिल हैं: - जो लोग अल्लाह पर विश्वास को अस्वीकार करते हैं और उसके संदेश को अस्वीकार करते हैं उन्हें इसके बाद सजा का सामना करना पड़ेगा। कुरान अविश्वास की सजा को गंभीर बताता है: - *''लेकिन जो लोग इनकार करते हैं और हमारी निशानियों को झुठलाते हैं - वे आग के साथी होंगे; वे उसमें सदैव रहेंगे”* (कुरान 2:39)। - **पाखंडी (मुनाफिकुन):** पाखंडी वे लोग हैं जो ऊपर से तो अल्लाह पर विश्वास का दावा करते हैं लेकिन अंदर से इसे अस्वीकार कर देते हैं। उनकी सजा विशेष रूप से कठोर मानी जाती है, क्योंकि वे अपने झूठे विश्वास से दूसरों को धोखा देते हैं: - *"वास्तव में, कपटाचारी आग की सबसे निचली गहराई में होंगे, और आप उनके लिए कभी कोई सहायक नहीं पाएंगे"* (कुरान 4:145)। - **पापी (वे जो बड़े पाप करते हैं):** जो मुसलमान बिना पश्चाताप के बड़े पाप (जैसे, हत्या, चोरी, व्यभिचार) करते हैं, उन्हें इस जीवन और उसके बाद दोनों में सजा का सामना करना पड़ सकता है। हालाँकि, अगर वे ईमानदारी से पश्चाताप करते हैं, तो अल्लाह दयालु है और उन्हें माफ कर सकता है: - *"और जो लोग, जब वे कोई अनैतिक काम करते हैं या खुद पर अत्याचार करते हैं [अपराध द्वारा], अल्लाह को याद करते हैं और अपने पापों के लिए क्षमा मांगते हैं... अल्लाह उन लोगों से प्यार करता है जो अच्छे काम करते हैं"* (कुरान 3:135)। - **उत्पीड़क (जालिमुन):** जो लोग दूसरों पर अत्याचार करते हैं, दूसरों के अधिकारों का उल्लंघन करते हैं, या पृथ्वी पर भ्रष्टाचार फैलाते हैं, उन्हें अल्लाह की सजा का सामना करना पड़ेगा। इस्लाम में उत्पीड़न की कड़ी निंदा की गई है और कुरान गंभीर परिणामों की चेतावनी देता है: - *"वास्तव में, अल्लाह ज़ालिमों को पसंद नहीं करता"* (कुरान 3:140)। ### 3. **सज़ा के प्रकार** - **इस दुनिया में:** कभी-कभी, अल्लाह एक अनुस्मारक या परीक्षण के रूप में इस जीवन में पापियों को कठिनाई, बीमारी या आपदाओं के माध्यम से दंडित करना चुन सकता है। हालाँकि, यह दया का एक रूप भी हो सकता है, क्योंकि इस दुनिया में कष्ट सहने से पापों का प्रायश्चित हो सकता है और इसके बाद बड़ी सजा को रोका जा सकता है। - **कब्र में (बरज़ख):** इस्लामी शिक्षाओं में उन लोगों के लिए कब्र में सज़ा का भी उल्लेख है जिन्होंने पश्चाताप के बिना पापपूर्ण जीवन व्यतीत किया। मृत्यु और पुनरुत्थान के बीच की अवधि को *बरज़ख* के रूप में जाना जाता है, और ऐसा माना जाता है कि कब्र किसी के कर्मों के आधार पर शांति या पीड़ा का स्थान हो सकती है। **प्रलय के दिन (यौम अल-क़ियामा):** अल्लाह प्रलय के दिन सभी मनुष्यों का उनके कार्यों के आधार पर न्याय करेगा। जिन लोगों ने पश्चाताप किए बिना पाप किए हैं और जिन्होंने विश्वास से इनकार किया है उन्हें अल्लाह की अंतिम सजा का सामना करना पड़ेगा। इसमें नर्क (*जहन्नम*) में डाला जाना शामिल है यदि उनके पाप उनके अच्छे कर्मों से अधिक हैं: - *“उस दिन, हर आत्मा को उसकी कमाई का बदला दिया जाएगा। आज कोई अन्याय नहीं! वास्तव में, अल्लाह हिसाब देने में तेज़ है”* (कुरान 40:17)। ### 4. **अल्लाह की दया और क्षमा** जबकि अल्लाह की सजा उचित है, इस्लाम इस बात पर भी जोर देता है कि अल्लाह दयालु (*अर-रहमान*) और क्षमाशील (*अल-गफ्फार*) है। पापियों को पश्चाताप करने के लिए दृढ़ता से प्रोत्साहित किया जाता है, क्योंकि अल्लाह उन लोगों को माफ करने का वादा करता है जो ईमानदारी से उसकी ओर मुड़ते हैं: *"कहो: हे मेरे बंदों, जिन्होंने [पाप करके] अपने ऊपर अत्याचार किया है, अल्लाह की दया से निराश न होओ। निस्संदेह, अल्लाह सभी पापों को क्षमा कर देता है। निस्संदेह, वही क्षमा करने वाला, दयालु है”* (कुरान 39:53)। - **पश्चाताप (तौबा):** इस्लाम सिखाता है कि ईमानदारी से पश्चाताप, भविष्य के पापों से बचने और जहां संभव हो संशोधन करने की प्रतिबद्धता के साथ, पापों को मिटा सकता है: *"और जो कोई ग़लती करे या ख़ुद पर ज़ुल्म करे और फिर अल्लाह से माफ़ी मांगे तो अल्लाह को माफ़ करने वाला और दयालु पाएगा"* (कुरान 4:110)। ### 5. **शफ़ाअत (शफ़ाअह)** न्याय के दिन, यह माना जाता है कि पैगंबर मुहम्मद (पीबीयूएच) और अन्य धर्मी व्यक्ति कुछ पापियों की ओर से हस्तक्षेप कर सकते हैं, उनके लिए अल्लाह से क्षमा मांग सकते हैं। हालाँकि, यह हिमायत केवल अल्लाह की अनुमति से दी गई है: "कौन है जो उसकी अनुमति के बिना उसकी सिफ़ारिश कर सकता है?"* (कुरान 2:255)। ### 6. **अपवाद और बच्चे** - **बच्चे और मानसिक रूप से अक्षम:** इस्लामी शिक्षाओं के अनुसार, जो बच्चे परिपक्वता (यौवन) की उम्र तक पहुंचने से पहले मर जाते हैं और जो व्यक्ति मानसिक रूप से अक्षम हैं, उन्हें उनके कार्यों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा, क्योंकि वे समझने में सक्षम नहीं हैं या उनके कार्यों को चुनना। ## निष्कर्ष इस्लाम में, अल्लाह व्यक्तियों को उनके पापों के लिए दंडित करता है, और सजा व्यक्तिगत जवाबदेही पर आधारित होती है। हालाँकि, अल्लाह न्यायकारी और दयालु भी है, जो पश्चाताप और क्षमा के अवसर प्रदान करता है। जबकि पापियों और अविश्वासियों को इसके बाद सजा का सामना करना पड़ सकता है, जो लोग ईमानदारी से माफी मांगते हैं वे अल्लाह की दया प्राप्त कर सकते हैं। अंतिम सज़ा उन लोगों के लिए आरक्षित है जो जानबूझकर अल्लाह के मार्गदर्शन को अस्वीकार करते हैं, बिना पश्चाताप के पाप में लगे रहते हैं, या दूसरों पर अत्याचार करते हैं।

Thursday, 10 October 2024

Mati ke putle tujhe kitna guman hai

asalamu alaikum insan ki umar kitni hai 50sal ya jyada se jyada 100sall ek din use marna hai chahe vo kisi bhi dharam ka manne wala ho use pata hai ki ek din use marna hai a insaan agar tu ye samjata hai ki tu apni taqat ke bal par apne power ke bal par apni dulat ke bal par jo chahe wo kar sakta hai tujhe rokne wala tokne wala tujhe saja dene wala koi nahi to tu bhot badi gaflat me ji Raha hai itihas kholkar dekh is duniya me tuj se bhi bade bade taqtwar insaan aaye the wo bhi khud ko is duniya ka khuda samjte the or logo par julm karte the lekin jab unka waqt is duniya me khatam hua to allah ne unhe itni dard naak mot di ki aaj tak itihas ke panno me wo darj hai yaad rakh agar aaj tujhe koi saja nahi mil rahi to is ki wajah ek hi hai abhi tera waqt nahi aaya jis din tera waqt khatam ho jayega us din na to teri dulat tujhe bacha payegi na tera power tuje bacha payega Allah ke gajab se tujhe is duniya ki koi taqat nahi bacha payegi na pahle allah ke gajab se koi setan bacha hai na aaj bachega bas tera waqt nahi aaya is liye Allah ne tujhe chod rakha hai jis din tera waqt aaya us din allah ki pakad se tujhe kon bachayega abh bhi waqt hai sudhar ja warna duniya or aakhirat me siva takalif or jillat kuchh bhi hasil nahi hoga asalamu alaikum Asalaam Alaikum, what is the life span of a human being? 50 years or more than 100 years, no matter what religion he follows, one day is used to kill a person, if you understand that you are at the mercy of your own strength. You can do whatever you want on the basis of your power, on the basis of your wealth, there is no one to stop you, no one to stop you, you are living in complete negligence, you are living the history, see, even the most powerful people have appeared in this world suddenly. They also thought of themselves as the God of the world and did atrocities on people but when their time in this world ended, Allah gave them so much pain that till today they are recorded in the pages of history, remember if you come today. No one is able to understand that the face is the same, now your time has not come, the day your time will end, on that day neither your wealth will be saved nor your power will be able to save you, there is no power in this world because of the wonder of Allah. You will not be saved first, by the wonder of Allah, no devil will be saved today, that's why your time has not come, that is why Allah has chosen you, the day your time has come, on that day, who will save you from the grace of Allah, there is still time for the world to improve. Or in the end there will be no result of any takaalif or jillat asalaam alaikum

Sunday, 27 August 2023

Your dreem your wish

Your dream If you have any legitimate work or dream which is not being fulfilled, then you can pray for yourself by paying 100 rupees for that, whatever work you do, mail us if you do not want to tell your work. Prayer will be done in your name, once the fee is paid, prayer will be done for that person for 7 days, there is great power in prayer and prayer, try it once.Pay the fee and send the screen short and write your work, we will put your work and name in the prayer list and pray for you everyday.Write your name and wish in the mail and attach a screen shot of the payment and mail it to us. We will pray for you daily. Mail-786.madina11@gmail.com PayPal -786.madina11@gmail.com Paytm -786madina11@paytm आपका सपना अगर आपका कोई वैध काम है या सपना है जो पूरा नहीं हो रहा है तो आप उसके लिए 100 रुपये देकर अपने लिए प्रार्थना कर सकते हैं, आप जो भी काम करते हैं, अगर आप अपना काम नहीं बताना चाहते तो हमें मेल करें। प्रार्थना आपके नाम से की जाएगी, एक बार शुल्क चुकाने के बाद उस व्यक्ति के लिए 7 दिनों तक प्रार्थना की जाएगी, प्रार्थना और प्रार्थना में बहुत ताकत होती है, एक बार प्रयास करें। शुल्क का भुगतान करें और स्क्रीन शॉर्ट भेजें और अपना काम लिखें , हम आपका काम और नाम प्रार्थना सूची में डालेंगे और हर रोज आपके लिए प्रार्थना करेंगे। मेल में अपना नाम और इच्छा लिखें और भुगतान का एक स्क्रीन शॉट संलग्न करें और हमें मेल करें। हम आपके लिए रोजाना प्रार्थना करेंगे. मेल-786.madina11@gmail.com पेपैल -786.madina11@gmail.com पेटीएम -786madina11@paytm

Sunday, 20 August 2023

With the help of spiritual power, you

With the help of spiritual power, you will get the answer to every question, like whether you want to do any work, whether you will get success in it or not, you will get the answer in yes or no. will answer every question

रूहानी ताकत की मदद से आप को हर सवाल का जवाब मिलेगा

रूहानी ताकत की मदद से आप को हर सवाल का जवाब मिलेगा जैसे कि आप कोई काम करना चाहते हैं उस मे आप को कामयाबी मिलेगी या नहीं ये जवाब हां या ना मे मिलेगा ऐसे ही कोई भी सवाल का जवाब मिलेगा आप हमे मेल करें हम आप को हर सवाल का जवाब देंगे

All'problem solutions your wish

Whatever problem or dream you have, we will tell you the way to fulfill it, mail us.We will give you such a talisman that will remove your problem and your wish will be fulfilled, mail us The charge for making a talisman is only 100 rupees, must try it once.

Tuesday, 18 April 2023

Kya is duniya me koi hai jo madad karna chahta hai

asalamualaikum dosto ummid hai aap sabhi khero aafiyat se honge ajib duniya hai yaha jis ko jarurat nahi use Allah ne itna Diya hai ki use khud pata nahi ki us ke pass kitni dulat hai or jise jarurat hai us ke paas itna bhi nahi hai ki vo apni jarurat puri kar sake vo inzaar he karta rah jata hai ki koi aallah ka nek banda aayega or us ki madad karega pata nahi jin ko Allah ne itni dulat de hai ki vo kitni bhi madad kar de un ko koi farak nahi padta fir bhi vo kisi ki madad Nahi karte pata nahi allah baheter jane vo amir itne pattherdil kyo hote hai un ko garibo ki madad karna kyo accha nahin lagta e bande kya tu nahi janta ye dulat yaha rah jayegi tu khali is duniya me aaya tha or khali hi jayegaa fir tu kyo us dulat ko pakad ke betha hai jo tere sath nahi aane wali kya tuje pata nahi ki dulat nek kaam me kharch kar ne se kam nahi hoti balke or badhti hai ua me Allah kherobarkat kar deta hai tu ek bar ua Allah ki raah me kharch kar ke to dekh tuje kya milta hai hum ne bhi garibo ki madad karne ka faisla kiya lekin hamare paas itni dulat nahi thi fir bhi hum ne kosish ki or aap sabhi ko bhi bola ki agar aap bhi madad bhejna chahe to hume madad bheje magar kahi se bhi 1₹ bhi madad nahi aayi sayad is duniya me koi bhi insaan kisi bhi insaan ki madad nahi karna chahta agar aap ko Allah ne Daulat di hai or aap madad karna chahte hai to hume madad bheje or agar aap ke paas waqt hai to AAP khud un jaruratmand logo tak pahunch kar unki madad kre jesa aap thik samje asalamualaikum garib or jaruratmand logo tak pahochayenge jin ko is ki jarurat hai help the poor Google pay -shaikhmajitkhan@oksbi Assalamu alaykum in the month of Ramzan, if you want to help the poor, send your charity jacket to us.If you want to give alms, then send us your help to the poor.Inshallah help the poor in this pious month of Ramadan Allah will reward you for this in this world and in the Hereafter Share this message to those people who want to help the poor Google pay -shaikhmajitkhan@oksbi

Monday, 27 March 2023

Izzat Daulat or kamyabi kese milegi

asalamualaikum dosto umed hai aap sab kheroaafiyat se honge is duniya me ek hi Insaan huaa hai jo jo gani hai sakhi hai is ke jesa kayamat tak dusra nahi hoga un ka naam hajrat usmane gani rahmatullah hai aap ke dar pe savali rota hua aata tha or hasta hua duaa deta huaa jata tha jis ko har roj hajaro duaa e milti ho vo sakhs kamyabi ki bulandi par pahuch jata tha ab aap kahoge ki aaj kal to savali dhokebaaz hote hai aaj kal bhikh mangna logo ne dhandha bana liya hai such baat hai to fir aap sacche or juthe ko pahechano ge kese me aap ko ek bujurg ka bataya huaa tarika batata hu jab kabhi aap ke dar pe koi savali aaye or madad mange aap kuch de to le or na de to chupchap aap ke dar se chala jaye vo sucha hai or jo aap se jid kre jabrdasti kre jab tak aap kuch de na de aap ke dar se na jaye vo dhokebaj hai us ne mangna dandha bana liya hai yahi fark hai asal garib jaruratmand ka is ko yaad rakhna or aap khud bhi apne saher me pata kar sakte hai ki kon sa insaan garib hai kis ko madad ki jarurat hai dhundhne se to allah bhi mil jata hai to kya Insaan nhi milega sahi insaan dundho or us ki madad kro us ke dil se jo duaa aap ke liye niklegi vo aap ko us bulandi or makam tak pahochade gi jaha tak aap soch bhi nahi sakte hum bhi ese logo ko pahele dhudhte hai jin ka Siva Allah ke madad karne wala koi nahi hum ese logo ki madad karte hain agar aap bhi kuch madad hume bhejna chahe to bheje hum us madad ko us ke sahi haqdaar tak pahuchaye ge insaallah asalamualaikum madad 1₹se lekar 1000₹ tak ki ja sakti hai jis ko Allah ne jitni taqat de ho vo utni madad kar diya kre hum ne is ramjan ke Mubarak mahine me garib logo ki madad karne ka irada kiye hai agar aap bhi is nek kaam me jo bhi madad karna chahe kre is ka badala allah aap ko duniya or aakhirat me ata farmaye ga aap is ramjan me apni jakat kherat dena chahte hai to hame bheje hum un peso ko un garib or jaruratmand logo tak pahochayenge jin ko is ki jarurat hai help the poor Google pay -shaikhmajitkhan@oksbi Assalamu alaykum in the month of Ramzan, if you want to help the poor, send your charity jacket to us.If you want to give alms, then send us your help to the poor.Inshallah help the poor in this pious month of Ramadan Allah will reward you for this in this world and in the Hereafter Share this message to those people who want to help the poor Google pay -shaikhmajitkhan@oksbi

Daulat hasil kar ne ka aml

asalamualaikum dosto aaj me aap ko koi vajifa ya aml nhi batane wala hu ek waqya batane wala hu ek aala sahabi hajarat usmane gani rahmatullah alayhe un ko Allah ne itni dulat ata farmayi thi ke un he khud pata nahi tha ki un ke paas kitni dulat hai itni barkat kyo thi kyo ke vo us dulat ko garibo or jaruratmand logo ko dete the is liye Allah ne un ki dulat me kherobarkat ata farmaye aaj ka amir Insaan kisi garib ko 500 ki madad nhi karega davakhane me jaa kar hajaro lakho kharch kar dega magar kisi garib or jarurat mand ki madad nhi karega agar tum chahte ho ki tumhare paas dulat ki kami na ho to allah ki raah me kharch kro jitni tumhe allah ne dene taqat ata farmaye hai duniya ka sab se bada nek aml garibo ki madad karna hai yhi kaam hajrat usmane gani rahmatullah kiye karte the har insaan apne hasiyat or taqat ke mutabik garibo ki madad karna saru kar de to na amir kabhi takalif me hoga na garib or Allah dono se raji ho jayega madad 1₹se lekar 1000₹ tak ki ja sakti hai jis ko Allah ne jitni taqat de ho vo utni madad kar diya kre hum ne is ramjan ke Mubarak mahine me garib logo ki madad karne ka irada kiye hai agar aap bhi is nek kaam me jo bhi madad karna chahe kre is ka badala allah aap ko duniya or aakhirat me ata farmaye ga aap is ramjan me apni jakat kherat dena chahte hai to hame bheje hum un peso ko un garib or jaruratmand logo tak pahochayenge jin ko is ki jarurat hai help the poor Google pay -shaikhmajitkhan@oksbi Assalamu alaykum in the month of Ramzan, if you want to help the poor, send your charity jacket to us.If you want to give alms, then send us your help to the poor.Inshallah help the poor in this pious month of Ramadan Allah will reward you for this in this world and in the Hereafter Share this message to those people who want to help the poor Google pay -shaikhmajitkhan@oksbi

Sunday, 18 September 2022

jadu or jinnat ko khatam karne ka aml

aslamualaycum dosto allah se dua hai ki aap sab kheriyaat se hoge aaj me jo aml aap ke liye laya hu ye agar kisi insaan ya kisi gar me aap ko lagta hai ki jadu or jinnat ka asar hai to aap ye aml kre insaallah allah ke karam se jadu jinnat khatam ho jayega aml ye hai paak saf ho kar kabe ki taraf muh karke bathe 11bae darud padhe aap ko jo ata ho nhi to salallaho alayehe vassallam padhe fir 100 bar surah falak padhe bismillahirahmanirahim kul aauju bi rabbil falak min sarri ma khalak vamin sarri vamin sarri gasikin ija vakab vamin sarri nafasati fil ukad vamin sarri hasidin ija hasad padhe or 100 bar surah naas padhe kul auju birabinas malikinnas elahinnas min sarril vasvasil khannas allaji uvasvisu fi sudurinnas minnal jinnati vannas padhe fir 11 bar darud ya sallalaho alayhe vassallam padhe or pani or loban ya agarbati pe dam kre yani funk mar de or us pani ko marij ko pilaye or gar me chidak de ye aml 40 din tak kre insaallah aap ke gar se jadu jinnat dafa honge loban ya agarbati ka dhup gar me roj kre or marij ko bhi uska dhup de insaallah sifa milegi aslamualaycum

Allah will punish man for his sins

In Islamic belief, Allah holds individuals accountable for their own actions, and the concept of punishment for sins is deeply rooted in the...